Charvaka Philosophy In Hindi: चार्वाक दर्शन का तर्कसंगत सच यह है कि यह मानव जीवन का सबसे प्राचीन दर्शन (Philosophy of life) है। Charvaka Philosophy एक भौतिकवादी दर्शन है, जिसे नास्तिक दर्शन भी कहते हैं। साथ ही इसे लोकायत या लोकायतिक दर्शन भी कहा जाता है। लोकायत का शाब्दिक अर्थ होता है ‘जो मत लोगों के बीच व्याप्त हो, जो विचार जनसामान्य में प्रचलित हो।’ ये दर्शन मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को मुख्य मानता है तथा पारलौकिक सत्ताओं को यह Darshan स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है।
Darshan क्या है?
Indian Philosophy दो अंगों में विभाजित है!
- आस्तिकता (ईश्वरवादी)
- नास्तिकता (अनीश्वरवादी)
जो वेद को प्रमाण मानकर उसी के आधार पर अपने विचार आगे बढ़ाते थे वे आस्तिक (ईश्वरवादी) कहे गये।
नास्तिकता अथवा नास्तिकवाद या अनीश्वरवाद (English: Atheism), वह सिद्धांत है जो जगत् की सृष्टि करने वाले, इसका संचालन और नियंत्रण करनेवाले किसी भी ईश्वर के अस्तित्व को सर्वमान्य प्रमाण के न होने के आधार पर स्वीकार नहीं करता। नास्तिक दर्शन (अनीश्वरवादी) भारतीय दर्शन परम्परा में उन दर्शनों को भी कहा जाता है जो वेदों को नहीं मानते थे। भारत में कुछ ऐसे व्यक्तियों ने जन्म लिया जो वैदिक परम्परा के बन्धन को नहीं मानते थे वे नास्तिक कहलाये तथा दूसरे जो नास्तिक कहे जाने वाले विचारकों की तीन धारायें मानी गयी हैं - चार्वाक, जैन तथा बौद्ध।
पाणिनि व्याकरण में वर्णन है कि-
आस्ति नास्ति दिष्ट्ं मति।
Charvaka Philosophy के रचियता कौन थे?
चार्वाक दर्शन का सत्य यह है कि चार्वाक ही प्राचीन भारत के एक अनीश्वरवादी और नास्तिक तार्किक थे। ये नास्तिक मत के प्रवर्तक बृहस्पति के शिष्य माने जाते हैं। बृहस्पति और चार्वाक कब हुए इसका कुछ भी पता नहीं है। बृहस्पति को चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र ग्रन्थ में अर्थशास्त्र का एक प्रधान आचार्य माना है।
जैसे भारत में चार्वाक थे, वैसे ही ग्रीस में एपीकुरस थे। आज एपीकुरस की कम से कम एक मूर्ति उपलब्ध है, परन्तु चार्वाक की तो कोई छवि ही नहीं है।
Charvaka Philosophy in HindiPhilosophical Basis of Charvaka Philosophy
चार्वाक दर्शन का आधार निम्न बिन्दुओं पर है! इसमें-
- प्रत्यक्ष को ही प्रमाण माना गया!
- वेदों को सिरे से नकार दिया गया!
- Existence of God को नकार दिया गया!
- वर्ण व्यवस्था और आश्रम व्यवस्था को नहीं माना गया!
- यज्ञ, पशुबलि, श्राद्ध एंव ब्राह्मणिय कर्मकाण्डों को नहीं माना गया!
- पूर्व जन्म, परलोक और Existence of Rebirth को नहीं माना गया!
- Existence of Soul पर भी सवाल खड़ा किया और जीव का अंत इसी दुनिया में माना!
Carvaka Realistic Philosophy है! निरी आस्था न रख कर परिवर्तनवादी और समतावादी (Egalitarian) दृष्टिकोण रखने की सलाह देता है! यानि इसे आप परस्पर सद्भावना आधारित सत्यवादी (Truthful) और ज्ञानमार्गी दर्शन कह सकते हैं! प्रत्यक्ष को ही प्रमाण मानने से आशय है कि विशुद्ध न्यायवादी परम्परा में विश्वास न रख कर वर्तमान में विश्वास रखना। इसीलिए यह एक Rationalist Philosophy भी है!
Charvaka Philosophy In Hindi
यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक, और आर्हत। इन सभी में वेद से असम्मत सिद्धान्तों का प्रतिपादन है।
मध्वाचार्य (1238-1317) के 'सर्वदर्शनसंग्रह' से चार्वाक दर्शन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
न स्वर्गो नापवर्गो वा नैवात्मा पारलौकिकः
~ Charvaka Philosophy
नैव वर्णाश्रमादीनां क्रियाश्च फलदायिकाः
चार्वाक ने इस श्लोक के माध्यम से घृणित जातिवाद को खुली चुनौती दी है!
पशुश्चेन्निहतः स्वर्गं ज्योतिष्टोमे गमिष्यति,
~ Charvaka Philosophy
स्वपिता यजमानेन तत्र कस्मान्न हन्यते?
मृतानामपि जन्तूनां श्राद्धं चेत्तृप्तिकारणम्।
~ Charvaka Philosophy
गच्छतामिह जन्तूनां व्यर्थं पाथेयकल्पणम्।।
स्वर्गस्थिता यदा तृप्तिं गच्छेयुस्तत्र दानतः
~ Charvaka Philosophy
प्रासादस्योपरिस्थानमात्र कस्मान्न दीयते?
विकिपीडिया - चार्वाक दर्शन
चार्वाक दर्शन - तर्कसंगत सत्य
चार्वाक दर्शन उस भूगोल को नहीं मानता जिस के अनुसार धरती बैल के सींगों पर अथवा शेषनाग के फन पर टिकी हुई है। वह यह भी नहीं मानता कि धरती गाय बन कर देवताओं के पास जाती है। और पाप का बोझ हल्का करने के लिए देवताओं से प्रार्थना करती है। वह उस भूगोल को भी नहीं मानता जिस में पृथ्वी ऐसी देवी है जिस के लिए शांति पाठ या नवग्रह पूजा की जाती है। “भूगोल भूगोल” रटने वालों, भू (धरती) गोल नहीं, अंडाकार है। तुम उसे “अचला” कहते हो, परंतु वह तो "चला" (गतिशील) है।
चार्वाक दर्शन का तर्कसंगत सच यह है कि इन मतों का खण्डन करना प्रायः असाध्य है।